क्या फैसले के बाद सीबीएसई के नए मार्किंग सिस्टम से टॉपर स्टूडेंट्स पिछड जाएंगे, सवाल-जवाब से समझिए पूरा फैसला
सीबीएसई ने 10वीं और 12वीं की बची हुई परीक्षाएं रद्द करने का फैसला किया है। बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को हुई सुनवाई में यह जानकारी दी। अब स्टूडेंट्स का असेसमेंट उनकी पिछली 3 एग्जाम के आधार पर होगा। उनके पास बाद में परीक्षा देने का विकल्प होगा। स्टूडेंट को कितनी राहत दी गई है सवाल-जवाब के जरिए समझिए...
#1) 10वीं-12वीं के छात्रों को सीबीएसई ने कितनी राहत दी?
- 10वीं के स्टूडेंट्स को अब सीबीएसई बोर्ड की बची हुई परीक्षाएं नहीं देनी होगी।
- 12वीं के स्टूडेंट्स का असेसमेंट इनकी पिछली 3 परीक्षाओं में किए प्रदर्शन के आधार पर किया जाएगा।
#2) क्या सीबीएसई के इस फैसले से टॉपर स्टूडेंट पिछड़ जाएंगे?
12वीं के छात्रों के पास दोबारा परीक्षा देने का विकल्प रहेगा। वे चाहें तो परीक्षा देकर अंकों में सुधार कर सकते हैं। ये परीक्षाएं तब होंगी जब स्थितियां सामान्य होंगी।
#3) सीबीएसई के फैसला का मेडिकल और इंजीनियरिंग के एंट्रेंस एग्जाम पर कितना असर पड़ेगा?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से इन 3 एग्जाम्स की तस्वीर साफ होगी। स्थिति सामान्य होने ही सीबीएसई 12वीं की विकल्पीय परीक्षा आयोजित करेगा। इसमें शामिल होकर अंकों में सुधार किया जा सकता है। इसके आधार पर स्टूडेंट्स एंट्रेंस एग्जाम दे सकेंगे।
- जेईई मेन - 18 जुलाई से 23 जुलाई। इसी एग्जाम के बेस पर स्टूडेंट्स जेईई एडवांस्ड के लिए क्वालिफाई होते हैं। जेईई मेन के जरिए एनआईटी, सरकारी और प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन मिलता है। इसमें 9 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स शामिल होते हैं।
- नीट - 26 जुलाई। इसके जरिए सरकारी और प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस और बीडीएस में एडमिशन मिलता है।
- जेईई (एडवांस्ड) - 23 अगस्त। सिर्फ 2.5 लाख स्टूडेंट्स जेईई मेन के बाद एडवांस्ड के लिए क्वालिफाई कर पाते हैं। इसके जरिए 23 आईआईटी में एडमिशन मिलता है।
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